बिहार में फ्री बिजली, यूपी में फ्री सलाह: मंत्री A.K. शर्मा का करंटेड बयान

अजमल शाह
अजमल शाह

जब बिहार की कैबिनेट ने 125 यूनिट तक फ्री बिजली देने का ऐलान किया, तब ऐसा लगा कि देश के सियासी पावर ग्रिड में एक और हाई वोल्टेज बहस जुड़ गई है।
लेकिन यूपी के ऊर्जा मंत्री A.K. शर्मा ने जैसे ही माइक पकड़ा, उन्होंने बिजली नहीं, बल्कि कटाक्ष छोड़ दिया —
“बिजली आएगी तब न फ्री होगी!”

यानि मंत्री जी का कहना साफ था — जब बिजली सप्लाई ही ना हो, तो फ्री बिजली के वादे पर हंसना ही पड़ेगा। मुफ्त की चीज़ वैसे भी ज़्यादा चलती नहीं।

कैबिनेट से करंट, वृंदावन में ‘शॉक’

बिहार में नीतीश कुमार कैबिनेट ने जब इस स्कीम को 3797 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी, तो सोशल मीडिया पर जश्न जैसा माहौल था।
उधर, यूपी के मंत्री A.K. शर्मा ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में मत्था टेकने की कोशिश की — पर वहां मिला ‘प्रजाजन जनरेटर’ का विरोध करंट।

  • मंदिर के सेवायतों ने पर्दा डाल दिया

  • प्रसाद और पटका भी नहीं मिला

  • गेट से बाहर तक निकालना पड़ा

वजह? बन रहे बांके बिहारी कॉरिडोर पर स्थानीय लोगों की नाराजगी और बिजली संकट पर मंत्री की “नॉन-रिस्पॉन्सिबल” प्रतिक्रिया।

फ्री बिजली बनाम बिजली ही नहीं!

मंत्री जी का बयान काफी वायरल हो चुका है – “ना बिजली आएगी, ना बिल आएगा… मतलब हो गई फ्री!”
इस पर विपक्ष ने तंज कसा – “मंत्री जी बिहार की फ्री बिजली पर तो हंसी उड़ा रहे हैं, लेकिन अपने ही राज्य में बिजली की सप्लाई गायब है!”

राजनीति या पावर कट का मज़ाक?

ये वही A.K. शर्मा हैं जो कभी नौकरशाही में अपनी सख्ती के लिए जाने जाते थे, अब सत्ता में आकर ‘सटायर विशेषज्ञ’ बन चुके हैं।
फ्री बिजली पर उनका बयान तो मज़ाक था, पर यूपी में बिजली कटौती की रिपोर्ट्स बिल्कुल करंट अफेक्टेड रियलिटी हैं।

और क्या मंत्री जी भूल गए कि बिहार में बीजेपी सत्ता की साझेदार है? यानि कटाक्ष का शॉक नीतीश पर नहीं, खुद के गठबंधन पर लग रहा है।

तो अब आगे क्या?

इस बहस का कनेक्शन जल्द ही चुनावी जनरेटर से जुड़ने वाला है। जहां एक ओर फ्री बिजली पर राज्यों में टक्कर है, वहीं दूसरी ओर जनता पूछ रही है —
“बिजली फ्री हो या नहीं, पहले आए तो सही!”

राजनीति में फ्री चीज़ों का वादा नया नहीं, लेकिन जब इन वादों पर मंत्री खुद मीम मटेरियल बन जाएं, तो खबर खुद-ब-खुद वायरल हो जाती है।
A.K. शर्मा का बयान सटीक था या ‘सरकारी तंज’?
ये जनता तय करेगी — लेकिन एक बात तय है —
“फ्री बिजली से ज़्यादा जरूरी है — असली बिजली!”

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